एक मछुआरा मछली पकड़ रहा था । बहुत मुश्किलों के बाद उसने एक बड़ी मछली पकड़ी,तो वो बहुत खुश हुआ। उसने ईश्वर का शुक्रियादा किया और सोचा आज इसे बेंचकर अच्छा पैसा मिलेगा !
वो ये सोच ही रहा था कि इतने में एक बदमाश की नजर उस मछली पर पड़ी तो उसने मछुआरे से कहा ये मछली मुझे दे दें। मछुआरे ने कहा आप खरीद लो। उस बदमाश ने चाकू निकाल लिया और उसके हाथ से मछली छीनकर ले गया ।
मछली अभी तड़फ रही थीं, और बदमाश उसे छीनकर भागा तो मछ्ली ने उसके अंगूठे पर बड़ी जोर से कांट लिया।
वो बदमाश डॉक्टर के पास गया तो डॉक्टर ने कहा घाव बहुत गहरा है, अँगूठा काँटना पडेगा नहीं तो इन्फेक्शन ऊपर तक फैल जायेगा। उसने मजबूरी में अँगूठा कटवा लिया। कुछ दिन बाद इंफेक्शन और बढ़ गया तो और तीन उंगलियां काटना पड़ी । फिर भी इंफेक्शन ठीक नहीं हुआ । डॉक्टर ने कहा अब हथेली काँटना पड़ सकती हैं ।
वह बहुत परेशान हो गया। इतने में उसका एक दोस्त आया वो ईश्वर को मानने वाला था । तो उसने पूछा कि तूने किसी के साथ बुरा तो नहीं किया, किसी की बददुआ तो नहीं ली ।
ये बात सुनकर उसका ध्यान मछुआरे पर गया और वो उसे ढूढ़ने में लग गया। कुछ दिनों बाद वो मछुआरा उसे मिला,तो उसने उसके पाव पकड माफी मांगने लगा।
मछुआरे ने कहा कि भाई में तो कबका भूल चुका हूँ, फिर भी में तुम्हें और माफ करता हूँ ।
बदमाश ने उससे पूछा कि तुमने मुझे बददुआ दी थी क्या ? इस पर मछुआरे ने कहा नहीं दी पर उस दिन में खुश था की ईश्वर के रहम से दो दिनों के बाद बड़ी मछली पकड में आयी है, और में उसे बेंचकर अपने बीबी-बच्चों के लिए घर का राशन ले जाऊंगा। हाँ मुँह से यह जरूर निकल गया था कि *है ईश्वर जिस प्रकार इसने मुझे अपनी ताक़त दिखाई है तू भी इसे अपनी ताकत दिखा दें ।*
दोस्तो इसलिए किसी भी मजलूम पर अपनी ताक़त या पैसे का रौब मत दिखाओ। क्योंकि हम लोग नहीं जानते की कौन कितनी तकलीफ़ों में है ।
वो मछुआरा कोई संत नहीं था एक आम आदमी था। फिर भी ईश्वर ने उसका साथ दिया क्योंकि वो ईमानदारी के साथ अपना जीवन जी रहा था।
भाइयों
किसी को भी तकलीफ मत दो, मजलूमों की इज्ज़त करों, क्योंकि ईश्वर गरीबों और लाचारों के साथ रहता हैं
वो ये सोच ही रहा था कि इतने में एक बदमाश की नजर उस मछली पर पड़ी तो उसने मछुआरे से कहा ये मछली मुझे दे दें। मछुआरे ने कहा आप खरीद लो। उस बदमाश ने चाकू निकाल लिया और उसके हाथ से मछली छीनकर ले गया ।
मछली अभी तड़फ रही थीं, और बदमाश उसे छीनकर भागा तो मछ्ली ने उसके अंगूठे पर बड़ी जोर से कांट लिया।
वो बदमाश डॉक्टर के पास गया तो डॉक्टर ने कहा घाव बहुत गहरा है, अँगूठा काँटना पडेगा नहीं तो इन्फेक्शन ऊपर तक फैल जायेगा। उसने मजबूरी में अँगूठा कटवा लिया। कुछ दिन बाद इंफेक्शन और बढ़ गया तो और तीन उंगलियां काटना पड़ी । फिर भी इंफेक्शन ठीक नहीं हुआ । डॉक्टर ने कहा अब हथेली काँटना पड़ सकती हैं ।
वह बहुत परेशान हो गया। इतने में उसका एक दोस्त आया वो ईश्वर को मानने वाला था । तो उसने पूछा कि तूने किसी के साथ बुरा तो नहीं किया, किसी की बददुआ तो नहीं ली ।
ये बात सुनकर उसका ध्यान मछुआरे पर गया और वो उसे ढूढ़ने में लग गया। कुछ दिनों बाद वो मछुआरा उसे मिला,तो उसने उसके पाव पकड माफी मांगने लगा।
मछुआरे ने कहा कि भाई में तो कबका भूल चुका हूँ, फिर भी में तुम्हें और माफ करता हूँ ।
बदमाश ने उससे पूछा कि तुमने मुझे बददुआ दी थी क्या ? इस पर मछुआरे ने कहा नहीं दी पर उस दिन में खुश था की ईश्वर के रहम से दो दिनों के बाद बड़ी मछली पकड में आयी है, और में उसे बेंचकर अपने बीबी-बच्चों के लिए घर का राशन ले जाऊंगा। हाँ मुँह से यह जरूर निकल गया था कि *है ईश्वर जिस प्रकार इसने मुझे अपनी ताक़त दिखाई है तू भी इसे अपनी ताकत दिखा दें ।*
दोस्तो इसलिए किसी भी मजलूम पर अपनी ताक़त या पैसे का रौब मत दिखाओ। क्योंकि हम लोग नहीं जानते की कौन कितनी तकलीफ़ों में है ।
वो मछुआरा कोई संत नहीं था एक आम आदमी था। फिर भी ईश्वर ने उसका साथ दिया क्योंकि वो ईमानदारी के साथ अपना जीवन जी रहा था।
भाइयों
किसी को भी तकलीफ मत दो, मजलूमों की इज्ज़त करों, क्योंकि ईश्वर गरीबों और लाचारों के साथ रहता हैं
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