अंधो के शहर में आँखों की बाते न कीजिये साहब जो इन दिमाग के अंधों ने पढा नही वो कैसे मानेंगे...l

इंसानी बस्तियों से दूर एक अनजान टापू पर नेत्रहीनों की बस्ती थी। जिन्हें न आँख शब्द का मतलब पता था न दृष्टि का .... वहां पर स्त्रियों को छूकर उनकी सुंदरता का पता लगाया जाता था... जिस की त्वचा जितनी नर्म और मुलायम होती थी उसे उतना सुंदर मान लिया जाता था..!
विवाह करने के लिए युवक युवती को छूकर ही पसन्द किया करते थे... उसी टापू पर एक लड़की थी जो देखने में बहुत सुंदर थी लेकिन उसकी त्वचा रूखी थी जिसकी वजह से नेत्रहीनों ने उसे कुरूप घोषित कर दिया था... कोई भी युवक उस से विवाह करना नही चाहता था... लेकिन एक दिन एक बाहरी युवक कहीं से भटक कर उस टापू पर पहुँच गया... उस युवती को देखते ही वह उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया, युवक उस युवती के पास जाकर बोला... यदि तुम्हे ऐतराज न हो तो मैं तुम्हारे साथ विवाह करना चाहता हूँ, युवती को बहुत आश्चर्य हुआ... उसने प्रत्युत्तर दिया... आप कौन हैं जो मुझ जैसी कुरूप लड़की के साथ विवाह करना चाहते है जबकि इस कबीले का कोई भी युवक मुझसे विवाह करने को राजी नही है... निश्चय ही आप कहीं बाहर से आये हैं...!
पहले तो युवक को आश्चर्य हुआ कि यह सुंदर लड़की खुद को कुरूप क्यों कह रही है लेकिन बाद में सारी बात जानने के बाद वह स्थिति को समझ गया... चुकी युवक बाहर से था अतः विवाह करने के लिए उसे कबीले के सरदार से अनुमति लेनी थी... अगले दिन सुबह वह सरदार के समक्ष प्रस्तुत हुआ और अपना आवेदन उसके सामने रखा... सरदार बहुत खुश हुआ.... और बोला ..... ये तो बहुत अच्छी बात है... लेकिन ये बताओ कि तुम इस कुरूप लड़की से विवाह क्यों करना चाहते हो...?
युवक ने जवाब दिया... ये लड़की कुरूप नही बल्कि इस टापू की सबसे सुंदर लड़की है आप लोगो के पास आँखे नही हैं आप लोग देख नही सकते... मेरे पास आँखे है और मैं देख सकता हूँ...!
सरदार ने कहा... तुम्हारी बाते मेरी समझ में नही आ रही लेकिन जब तुमने मन बना लिया है तो कल कुलदेवी के मंदिर में तुम लोगो का विवाह संपन्न करा दिया जायेगा...
अगले दिन विवाह संपन्न हो गया...!
लोगो के बीच में दो शब्द "आँखे" और "देखना" कौतूहल का विषय बने रहे... पुरे दिन इसी पर चर्चा होती रही, शाम को बुद्धिजीवी समाज सभा करने के लिए एकत्र हुआ... चर्चा में यह बात सिद्ध की गयी कि आये हुए परदेशी को आँखे है जिसके कारण उसे 'देखने' नामक रोग है, और उसी रोग के कारण उसने उस कुरूप लड़की से विवाह करने का मूर्खतापूर्ण निर्णय लिया है... यह रोग छुआछूत वाला भी हो सकता है... इस संभावना से इंकार नही किया जा सकता अतः कबीले की भलाई इसी में है कि परदेशी को मार डाला जाए... शाम को गाना बजाना हुआ और रात में उनके सुहाग रात के समय उनके घर में आग लगा दी गयी...!!
अंधो के शहर में आँखों की बाते (सीवरेज गैस) न कीजिये साहब जो इन दिमाग के अंधों ने पढा नही वो कैसे मानेंगे...

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