नर हो, न निराश करो मन को।

नर हो,
 न निराश करो मन को काम करो,
 कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
 कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को।
संभलो कि सुयोग न जाय चला
 कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न निरा सपना
 पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलंबन को
 नर हो, न निराश करो मन को। 

No comments:

Post a Comment

टिकट कहाँ है...? टी सी ने बर्थ के नीचे छिपी लगभग तेरह - चौदह साल की लडकी से पूछा टिकिट नहीं है साहब काँपती हुई हाथ जोड़े लडकी बोली, ...